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Aug 09, 2019

सरदार चाफ कटर कैसे बना एक विश्वसनीय ब्रँड:

मेरे दादाजी सरदार शेर सिंग ज्वाला सिंग डडियाला सन १९१० के करीब पंजाब (अमृतसर ) से काम की खोज मे नागपुर आये| उस समय अंग्रेजों का राज था | उन्होने रेल्वे के वर्कशॉप मे बतौर फोरमैन की नोकरी की |१९२५ अक्टूबर में मेरे पिता सरदार बलवंत सिंग का जन्म नागपूर में हुआ| बनारस युनिव्हर्सिटी से ग्रॅज्युएशन करने के पश्चात पिता बलवंत सिंग ने रिटायर्ड शेर सिंग जी के साथ मिलकर एक छोटीसी वर्कशॉप शूरू की जिस मे उनका मुख्य काम ऑइल इंजिन रिपेयर का था|
एक बार पिता बलवंत सिंग पंजाब मे अपने गाव तलवंडी गये तो उनकी नजर एक हाथ से चलने वाली चारा काटने की मशीन पर पडी| मन में आया की मशीन का चलन नागपूर के आस पास के गाव मे किया जाये और चारे की बरबादी को रोका जाये |

पंजाब से दो मशिने लाकर परीक्षण करने पर यह पाया की ये मशिने केवल हरा मुलायम चारा ही काट सकती है| इस इलाके में मिलने वाला सुखा और सखक्त चारा काटने मे यह मशिने कामयाब नही है | अपने छोटेसे वर्कशॉप में मशीनों मे फेरबदल करके एक ऐसी मशीन का निर्माण किया जो सुखे और सखक्त चारे को आसानी से काट दे| शुरुवात मे लोगों ने सोचा की मशीन से कटा चारा जानवरों के लिए हानिकारक हो सकता है| लोगों के इस भ्रम को दूर करने के लिए शुरुवात की मे कुछ समय उन्हे मुफक्त चारा काटकर दिया| उन्हे एहसास हुआ कि , यह मशीन तो काफी फायदेमंद है और चारा बिलकुल बरबाद नही होता| अन्यथा पहले जानवर कडबे की पत्ती खा लेते थे और डंठल (stem)व्यर्थ हो जाता था| इस मशीन से कटे हुए चारे को खाने से दूध वाले जानवरो के दूध में भी बढोतरी हुई|

चारा काटने वाली मशीन सिर्फ उन लोगों के लिए है, जो छोटे पैमाने पर पशुपालन करते हैं यानी जिनके पास एक या दो पशु हैं। हालांकि भारत में पशुपालन और दूध उत्पादन दोनों ही बढे़ हैं ऐसे में कम समय में पशुओं के चारे की पूर्ति करना किसी समस्या से कम नहीं है। इसके लिए बिजली व ईजंन चालित चारा काटने वाली मशीन का निर्माण किया गया। इस तरह से चारा काटने की पूरी तकनीक और तरीका ही बदल गए। कृषि तकनीकों में होते लगातार बदलावों के कारण कृषि में एक क्रांति आई है। किसान पूरी तरह से बदला है। चारा काटने की तकनीक में बदलाव के कारण इसमें किसानों के लिए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न हुए हैं। जहां पर बड़ी-बड़ी दूध डेयरी लगी हैं। वहां पर पशुपालकों को भारी मात्रा में चारे की आवश्यकता पड़ती है।
किसान बड़ी चारा मशीन लगाकर डेयरी में चारे की जरुरत को पूरा करते हैं जिससे कि उनको कमाई का एक और जरिया मिल जाता है। इस समय जो चारा काटने की मशीनें प्रचलन हैं वह पॉवर और अत्याधुनिक तकनीक युक्त हैं। इन चारा कटर मशीन के माध्यम से 1 घंटे में भारी मात्रा में चारा काटा जा सकता है |

सरदार इंजीनियरिंग उच्च गुणवत्ता के चाफ कटर उपलब्ध करा रही हैं। इनमें मुख्य रूप से ट्रैक्टर संचालित चाफ कटर एसी 45 इसके माध्यम से किसान इस मशीन का बड़ी डेयरीज के लिए वाणिज्यिक रूप से इस्तेमाल कर पैसा भी कमा सकते हैं।

संपुर्ण उपयोगिता :

सरदार यंत्र का फौलादी ढांचा कार्यक्षमता तथा मजबूती का अप्रतीम संगम है| इसमें लगे स्टील ब्लेडो की धार घंटो टिकती है| तेल ( लुब्रिकंट) में डूबकर चलनेवाले गेयर, यंत्रो को बिना रुके घंटो चलने की क्षमता प्रदान करते है| ढेर सारी कटाई का वचन निभाता सरदार|

सुरक्षा:

सरदार यंत्रो मे संपूर्ण सुरक्षा संबंधी सावधानी बरती गई है |इसमे फॉरवर्ड, नियुटल अथवा रिवर्स गेयर की सुविधा दी गये है| इस मे घूमने वाले सभी भाग ढॅके रहते है|

जानवरों का खाद्य :

कडबे की बरबादी को रोकने तथा जानवरों को पौष्टिक खाद्य देने का यह तरिका है| सरदार यंत्र कडबे की दानेदार कटाई करता है |जिससे जानवर इसे चाव से खाते है| उनकी क्षमता बढती है ,और आपका हर प्रकार से लाभ होता है|

खाद :

तुअर, कपास, सोयाबीन आदि तथा किसी भी प्रकार के फालतू पौधे इस यंत्र द्वारा बारीक काटकर यदि खाद के गड्डे मे डाल दिये जायें तो जल्दी सडते और गलते है| जिससे बेहतरीन खाद तयार होती है|

कूछ इस तरह शुरुवात हुई ' सरदार ' कडबा कटर मशीन की| आज हमारे पास सभी उपभोगताओं के लिये विभिन्न क्षमता के मॉडल उपलब्ध है| ग्राहकों की जरूरत के अनुसार इस मशीन में विभिन्न परिवर्तन किये जाते है|

कसकर मेहनती लाजवाब करामती... सरदार कुट्टी मशीन व्यापारियों के लिए आदर्श



Source:sardarchaffcutter.com,Written by सतपाल सिंग बलवंत सिंग डडियाला (प्रोप्राइटर: सरदार इंजीनियरिंग नागपुर ) | Published: Aug 09, 2019

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